प्रियतमा, ये जो तुम्हारी सेल्फियां "गलती से" मेरे इनबॉक्स में आ जाती है ना, शास्त्रों में इसे ही छल कहा गया है।
बड़ी पुरानी विधा है ये, इतना भी नहीं पता तुम्हे?
इंजीनियरिंग नहीं की हो का?
इंजीनियरिंग नहीं की हो का?
जब 'चोपुवों' को 'हसीनाओं' के साथ दिल्ली मेट्रो में बाहों में बाहें डाले "नया वाला प्यार" करते देखता हूँ ना, यकीन मानिए मेरा भी मन करता है कि मैं भी आपके जैसी गलती से भेजी गई सभी सेल्फियों के साथ एक एक दिन आधुनिक अंदाज़ में 'गंदी बात' का सिलसिला शुरू करूं।
पर क्या करें : दिल तो बच्चा है जी, अभी भी कच्चा है जी। अभी तक 12वीं वाले इश्क़ का दर्द भूला नहीं है। आपका "गलती से मिस्टेक" वाले प्यार को झेलने लायक इसके पास अभी मज़बूत "विंडोज फ़ायरवॉल और एंटीवायरस" नहीं है, ये अभी भी "पुरानी वाली XP" पर ही चल रहा है। तुम तो 'मॉ लाइफ मॉ रुल्ज़' करके निकल जाओगी, और इसको फिर से 'विविध भारती' के "दर्द भरे नग़में" सुनने पड़ेंगे।
तो ऐसा है सुंदरी, फ़ोन पर बात ना करने वाला, टाइम ना देने वाला, व्हाट्सएप्प और "जोगीरा सा रा रा रा" इस्तेमाल ना करने वाला, कभी भी आपको किसी भी चीज़ के लिए ना टोकने वाला (जिससे आपको 'तुमको तो कोई केअर ही नहीं है' का एहसास हो सकता है), कभी-कभार मध्यरात्रि के बाद फेसबुक का दोहन करने वाला, अति-पिछड़ा, बहुभाषी-लेखक चाहिए हो तो बताना। कोशिश रहेगी कि तुमको कभी मुखर्जी नगर से 'जलेबी की पार्टी' का निमंत्रण प्रेषित करूँ।
(बाकी तुमको अपनी प्रेमिका महसूस करने की कोशिश पूरी करूँगा, पर 100 रुपये के स्टाम्प पर इस वादे के साथ कि तुम मेरे साथ कोई सेल्फी नही लोगी।)
तुम्हारी एक और "गलती से भेजी गई सेल्फी" के इंतज़ार में,
तुम्हारा होने वाला प्रेमी।
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