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कोई नहीं मरता !

"मैं मर जाउंगी, पर तुमसे कभी दूर नहीं जाउंगी. मेरा विश्वास करो।" 
उसकी आँखों का पानी सब बयां कर रहा था। "कोई नहीं मरता।" उसने बड़ी बेफिक्री से कहा।
वो हमेशा से ऐसा नहीं था, बहुत ही स्नेह और प्रेम से भरा हुआ इंसान था। पर उसकी जिंदगी ने जो उसको सिखाया था, वो उसके जेहन से उतरता नहीं था। न जाने कितनी आंखों में झूठ देख चुका था वो, तो फिर ये कौन थी।
"कभी नहीं जाउंगी, मेरी जान ले लेना चाहे अगर ऐसा हुआ तो।" उसके आंसू रुक नहीं रहे थे, गिरते जा रहे थे। पूरा काऊच गीला हो गया था, पर वो चुप होने का नाम नहीं ले रही थी।
"7 बज चुके हैं यार, घर जाओ। बाद में बात करेंगे।" उसे चिंता हो रही थी क्योंकि वो जानता था कि उसे रात होने से पहले घर पहुंचना ज़रूरी था, वरना उसके घर वाले उससे सवाल पे सवाल करेंगे। उसने कैब बुलाई और उसे बैठा दिया।
उसे उसकी बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी, चाहे जिये या मरे। ऐसे वादे-कसमे वो बहुत सुन-देख चुका था। इंसानों और रिश्तों की काफी समझ हो गयी थी उसे, टीन-ऐज खत्म होने से पहले ही.
पर वो सच्चाई भरी आंखें उसके ज़ेहन से नहीं उतर रहीं थी। था तो वो भी इंसान ही, प्यार किया था उसने भी। उसे वापस नहीं मिला था, तो क्या हुआ? दर्द तो समझता ही था।
बिना किसी वादे के उनका रिश्ता 4 साल तक ऐसे ही चलता रहा। उनकी पढ़ाई खत्म होने को आ रही थी, और उसने एक प्राइवेट कंपनी में ट्रेनिंग शुरू की थी, एक ठीक-ठाक स्टाइपेंड के साथ।
और इधर, उसके पापा ने उसके लिए एक सरकारी नौकर ढूंढ लिया था, जिसके साथ उसे पढ़ाई खत्म होते ही बंध जाना था।
वो भी इतने दिनों में समझ गयी थी, कि वो उसका हाथ कभी नहीं पकड़ेगा। वो उसके इतिहास से भली भांति परिचित थी। उसकी पुरानी प्रेम कहानी उसके मुंह से पता नहीं कितनी बार सुन चुकी थी। तकलीफ होती थी, पर उसकी खुशी के लिए कभी ज़ाहिर नहीं होने देती थी। बहुत प्यार जो करती थी उससे।
वो अपने होने वाले शौहर के साथ सारी पारंपरिक रस्में निभाये जा रही थी। और वो बेखबर अपने-आप में ही खोया हुआ था। अभी अपनी ज़िंदगी को कौन सी दिशा दे, समझ नहीं पा रहा था। वो सोच रही थी कि कैसे उसे समझाये कि वो उसका हाथ पकड़ ले। पर, उसके आवारेपन को देख के चुप हो जाती थी।
फिर एक दिन वो टूट गयी। खूब रोई, खूब खरी खोटी सुनाई, सवाल किए, और अगले दिन अपने (हमेशा के लिए) जाने की खबर दे दी।
-- -- -- -- --
1 साल बाद वो उसकी दोस्त की प्रोफाइल को स्क्रॉल किये जा रहा था, जिसमे उसकी शादी की तस्वीरें मौजूद थी। खुश लग रही थी, वो।

"कोई नहीं मरता।" वो बुदबुदाया, उठा, मुँह धोया और लाइब्रेरी की तरफ निकल पड़ा।

© Vikas Tripathi 2018

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