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मुखर्जी नगर : Story 2

''१ मिनट में पुलिस बुला दूंगी, अभी दिमाग ठीक हो जायेगा।''
सिविल सेवा परीक्षा २०१५ के निबंध में एक विषय था - ''मूल्यों से वंचित शिक्षा व्यक्ति को अधिक चतुर शैतान बना देती है'' (Education without values seems rather to make a man more clever devil.) इस पर टिपण्णी लिख आज का 'उत्तर लेखन अभ्यास' मैं फेसबुक पर ही कर रहा हूँ ---
शाम का समय, मुखर्जी नगर की एक फोटोकॉपी शॉप, जहाँ मैं अपने २ दोस्तों Abhishek और Diwakar के साथ लाइन में खड़ा अपने नोट्स की वाइंडिंग करवा रहा हूँ और गपशप चल रही है।
तब तक एक मोहतरमा अपने एक कंधे (जिसने उनका झोला पकड़ा हुआ था) के साथ आ धमकी। हमने अपनी पुरानी आदत के अनुसार उनको उस थोड़ी सी जगह में भी जगह दे दी। फिर एक और भाई आये, जो उसी भींड में एडजस्ट हो लिए। हमने उनको भी जगह दे दी।
हम तीनो अपने में खोये हुए हैं, तब तक बिलकुल बगल से ज़ोर ज़ोर से चिल्लाती हुयी आवाज़ें आने लगी, ''टच कैसे कर दिया भाई तूने? तमीज़ नहीं है क्या बिलकुल भी? लड़के हो तो जो मर्ज़ी वो करोगे? समझ क्या रखा है?...''
हमने पलट के देखा, तो उस लड़की के साथ वाले महापुरुष उस बेचारे लड़के के ऊपर चढ़े जा रहे हैं। और उस लड़के की शकल ऐसी हो रही जैसे वो समझ ही नहीं पा रहा कि हो क्या गया अचानक से?
''भाई हुआ क्या? अब यहाँ इतनी भीड़ है तो अनजाने में लग गया हाथ शरीर पे गलती से? मैंने क्या किसी गलत इरादे से टच किया? या कुछ कहा? अरे, इतनी भींड है मै क्या करूँ?... इतना ओवर रियेक्ट क्यों कर रहे हो?''
कंधे को दबता देख इतने में लड़की मैदान में कूद पड़ी, ''अरे वो मेरे साथ है तो मेरी तरफ से बोल रहा है। एक तो टच कर रहे हो और ऊपर से लड़ रहे हो?''
बेमतलब का इलज़ाम लगता देख लड़का फिर गरमा गया, ''तो मैडम, इतनी दिक्कत है तो इतनी भीड़ में खड़ी क्यों हो? अलग खड़े होना चाहिए ना?''

हमने ये चुतियापा देख बीच बचाव किया। लड़का जाने लगा तो मैडम भनभनाने लगीं, ''जाने कहाँ कहाँ से आ जाते हैं -- गंवार कहीं के। बोलने की तमीज़ नहीं। ...'' हम तीनो सोच रहे कि जिसको खुद ही बोलने की तमीज़ नहीं, वो दूसरे पे वही इलज़ाम लगा रहा है --- अजीब दृश्य है !
लड़के ने सुन लिया, और फिर लौट आया। जहीन और बेक़सूर आदमी पर अगर इस तरह का घटिया इलज़ाम लगेगा, और वो भी UPSC की नगरी में, तो कैसे बर्दाश्त होगा? ''देखो लड़की, अब बहुत ज़्यादा बोल रही तुम, ऐसे थोड़े न होता है यार कि किसी के भी ऊपर कुछ भी इलज़ाम लगा दोगे?''
''भाग लो यहाँ से, वरना एक फ़ोन करुँगी - तुरंत अंदर हो जाओगे - दिमाग ठीक हो जायेगा।'' लड़की ने लड़के पे झपटते हुए कहा।
बस, आगे की घटनाएं रहने देते हैं -- मुद्दा समझते हैं।
ये कौन सी स्वच्छंदता है भाई? शक्ति का गलत इस्तेमाल, निर्दोष इंसान को इतनी घटिया धमकी, ये कौन सी दुनिया है? कौन हैं ये लोग, कहाँ से आते हैं?
इसमें कोई शक नहीं कि ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिन्होंने इस बात को साबित किया है कि विशेष अधिकार जितने मददगार रहे हैं, उससे अधिक निर्दोषों को फंसाने के लिए इस्तेमाल हुए हैं (SC/ST Act को ही ले लीजिए)। पर इनके गलत इस्तेमाल का नतीजा ये होता है कि जो असल हकदार और ज़रूरतमंद होते हैं, वो वंचित रह जाते हैं। या तो कोई उनपर विश्वास नहीं करता, या फिर उन्हें भी शक की दृष्टि से देखा जाता है।
तो मेरा निवेदन हर उस तरह की अपने हक़ का गलत इस्तेमाल करने वाली मोहतरमाओं से है कि --- हे देवी, कृपया ऐसा न करें। आपके इस तरह के व्यवहार से नारी शशक्तिकरण की दिशा और दशा दोनों बदल जाएगी, और इसमें भी संशोधन की ज़रूरत आन पड़ेगी।
सम्पूर्ण सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी बाद में करना, पहले चौथे पेपर की तैयारी कर लो और उसे आचरण में लाओ। और हाँ, गांव में रहने वाला या ग्रामीण पृष्टभूमि से आया हुआ व्यक्ति गंवार नहीं होता, तुम जैसा टुच्चा आचरण करने वाला इंसान होता है।
अभी सिर्फ यहां लिखा है ताकि तुमको सूचित हो, और वक्त बेवक्त काम आवे। सनद रहे कि सुधर जाओ, वरना अगली बार बीच-बचाव कर समझाऊंगा नहीं, सीधे मुंह पे थूक दूंगा।

© Vikas Tripathi 2018

Comments

  1. Aapke ek ek word se Mai sahamt hu ,Mai khud ldki hu mgr mujhe bhut bura lgta hai ki aajkl ki ldkiya kis trh jhuthe iljam lgaker
    Ldki hone ka fayda uthati hai .

    ReplyDelete

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