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९०s वाला प्यार

१९९० से २००० के बीच में पैदा हुए लोगों का प्रेम करने का तरीका अपने आप में अनूठा होता था। जहाँ एक तरफ प्रेमी अपनी प्रेयसी को रिझाने के लिए अलग-अलग तरीके के स्वांग रचता था, वही प्रेमिका अपने पीछे पड़े हुए (उसकी नज़र में लफंगे) प्रेमी को नाको चने चबवा देती थी।
उस दौर के बच्चे जब अपने उम्र के १३-१६वें (सबसे खतरनाक) पड़ाव पर पहुंचते थे, तो उनके भीतर की कुलबुलाहट को मिटाना इतना आसान नहीं था। न तो वो दौर व्हाट्सएप वाला था, न ही लड़की का कोई मोबाइल नंबर होता था। हाँ, उसके बाप का नंबर ज़रूर होता था, पर इतनी स्वच्छंदता तब नहीं थी कि कोई उस पर कॉल करने की हिम्मत करे।
प्रेमी तो बस अपनी क्लास में उठने वाली हर हंसी के वक़्त छुपकर अपनी प्रेयसी के चेहरे को देखता था। चाहत तो बस इसी बात की होती थी कि वो भी पलटकर एक बार हमें देख ले, तो आ हा हा, मज़ा ही आ जाये। क्लास में टीचर अगर शाबाशी दे दे, तो सोने पे सुहागा।
पढ़ने का मन थोड़े न करता था, वो तो बस मेहबूब की नज़र में आने के लिए वो कौम एक्वेशन्स तक के रट्टे लगा डालती थी। चाहे फार्मूला मैथ्स का हो या फिजिक्स का, इन विषयों के भी जवाब रट लिए जाते थे। पेशेंस देखिये लौंडों का -- कि चाहे १०० बार रिजेक्ट हो जाएँ फिर भी ''मोहब्बत तो एक ही बार होती थी।''
दोस्ती और वफादारी भी कोई इनसे सीखे। एक बार भाई ने अपनी लड़की चुन ली तो मज़ाल कोई भाभी को गलत नज़र से देखे। इतना रेस्पेक्ट तो आज की जनरेशन शादी के बाद भी नहीं देती। लौंडे कूट देते थे अगर कोई भैया भाभी के बीच में आये (भले ही भाभी को पता भी न हो अपने पतिदेव के एक्सिस्टेंस का).
प्यार में पड़ने के बाद लड़का लड़की को (और लड़की लड़के को) अपनी प्रिंटेड फोटो देता था, और प्रेम सम्बन्ध टूटने के बाद उन तस्वीरों की वापसी का भी रिवाज़ था। लड़का अपना प्यार १ रुपये वाली ब्लेड से प्रेयसी का नाम उकेरकर दर्शाता था, और लड़की लड़के को गुलाब वाली डायरी देकर (जिसमे शेरों-शायरिओं से दिल की बात कही होती थी). सम्बन्ध टूटने के बाद प्रेमी उसी डायरी में छुपाये सूखे गुलाब से अपना दर्द बयां करता था।
तब तो लड़की की इच्छा के बिना आप उससे बात भी नहीं कर सकते थे। पता नहीं कितनों का प्यार (मेरा भी) इस चक्कर में ही ख़तम हो गया कि संपर्क का कोई साधन ही नहीं बेंचो।।। आज तो व्हाट्सप्प, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिंडर और न जाने क्या क्या। सम्पर्क ही संपर्क। तब मन करता था कि काश भगवान् कुछ ऐसा चमत्कार करें कि हम अपनी प्रेयसी के पास पलक झपकते ही पहुंच जाएँ। आज वीडियो कॉल ने वो इच्छा भी पूरी कर दी।
समय कितना भी बीत जाए पर वो ९०s वाला प्यार अमर रहेगा।
© Vikas Tripathi 2018
PS : फोटू भी उसी समय का है। 

Comments

  1. So nice ,Maine Quora per apko padha aur blog bhi padh li

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